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पुर गाव होईल एवढा
माझा गोतावळा आहे
पण खरं नातं जोडायला
मी आज देखील उतावळा आहे.
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खरंच किती छान आहे
सूर्यासारख उगवण
स्वत: उगवताना
दुस्रयालाही जागवण
- भूषण अंबडकर
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